मरती मानवता

हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले का दर्द आज भी वहां के लोग महसूस करते हैं। पहली बार मानव विकसित समाज में इस बम का इस्तेमाल किया गया था। अगस्त 1945 से पहले ये दोनों भी आम शहर की तरह ही थे। लेकिन, अगस्त महीने की दो तारीखों से इनके नक़्शे ही बिगड़ गयें।  6 और 9 अगस्त को परमाणु बम के गिरते ही पूरा शहर तबाह हो गया। दोनों शहर को मिलाकर तक़रीबन ढाई लाख लोग इस हादसे में मारे गयें। और लाखों इसके विकिरण के प्रभाव में आ गयें। जिसका नतीजा यह हुआ कि एक बड़ी आबादी विकलांग हो गई। ऐसा नहीं है कि जो हुआ सिर्फ़ उसी समय हुआ। उस घातक बम का प्रभाव आज भी कायम है। वहां जन्म लेने वाला हर बच्चा विकलांग पैदा होता है। यह सब एक युद्ध का परिणाम था। ये दो देशों के बीच लड़े गए युद्ध की भयानक अवस्था थी। इस बम ने युद्ध की परिभाषा ही बदल दी। 1945 से पहले लड़े गए युद्ध और परमाणु बम से लड़े गए युद्ध के बीच एक बड़ा फ़र्क था। पहले के युद्ध में डंडा,धनुष-तीर, भाला,तलवार,चाकू,बंदूक-गोली,तोप और हस्त-चलित बम-बारूद का इस्तेमाल होता था। जबकि बाद के दिनों में मिसाइल और परमाणु बम का इतेमाल हुआ। हालांकि 1945 के बाद जब भी दो या दो से अधिक देशों के बीच युद्ध हुआ उसमें से अबतक किसी भी युद्ध में इस भयानक बम का इस्तेमाल नहीं हुआ। इसमें वज़ह यह रही कि परमाणु बम की विभीषिका को देखते हुए कई देशों ने एक निर्णय लिया। जिसके मुताबिक़ किसी भी युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जहां तक मेरी जानकारी है शुरुआती दिनों से लेकर अबतक जितने भी युद्ध लड़े गयें ,उन सबमें जो भी हथियार का प्रयोग किया गया वह सबके सब नंगी आंखों से देखे जाने वाले हथियार थे। ये अलग बात है कि कुछ से हम अपने आपको बचा सकते थे। और कुछ से नहीं। युद्ध ज़रूरी है या नहीं। इस पर दो तरह से बहस हो सकती है। लेकिन, यहां पर मुद्दा ये नहीं है कि यद्ध होना चाहिए या नहीं होना चाहिए। यहां पर मुद्दा ये है कि अगर युद्ध लड़ा जाना है तो हथियार का स्वरूप क्या होना चाहिए। हथियार का मारक क्षमता कम से अधिक हो सकता है। वह छोटी से बड़ी तबाही मचा सकता है। लेकिन, जो भी होगा वह तात्कालिक होगा। अगर यहां पर न्यूक्लियर बम की बातें न करें तो। लड़ा जाने वाला हर  हथियार दिखेगा। लड़ाई कोई एक देश जीतेगा। लेकिन, अगर इन सबके विपरीत कोई देश बिना युद्ध की घोषणा किए लड़ाई लड़े तो आप उसका सामना कैसे करेंगे ? आप उसका सामना कर सकते हैं। अगर आपकी सरहद पर तैनात पहरेदार चौकन्ना है तो वह उसका सामना कर सकता है। क्योंकि, वह हमला करने वाले को भी देख रहा है। और जिस हथियार से हमला किया जा रहा है उसे भी वह देख रहा है। एक मिनट के लिए अगर आपसे यह कहा जाए कि किसी ने बिना कोई हथियार चलाये युद्ध कर दिया। और उसने केवल युद्ध ही नहीं किया बल्कि वह युद्ध जीत भी गया। तो आप सहसा इन बातों पर विश्वास नहीं करेंगे। ये काम चीन बहुत धुरतई  से कर गया है। बिना कोई अस्त्र और शस्त्र चलाये उसने अपने अदृश्य हथियार से पूरे विश्व को तबाह कर डाला है। इस अदृश्य हथियार का नाम है कोरोना वायरस। इस जैविक हथियार से नित्य दिन लोग इसके शिकार होकर इस बीमारी से जूझ रहे हैं। नित्य दिन जानें जा रही है। आज हर कोई इस वायरस से दहशत में है। सब के सब खौफ़ के साये में ज़िंदगी गुजारने को विवश हैं। किसी भी देश के पास इस वायरस से निज़ात पाने का कोई उपाय नहीं है। हैरत की बात तो ये है कि परमाणु बम से हमला करने वाले अमेरिका के पास भी इस वायरस को ख़त्म करने के लिए कोई बम नहीं है।     


Comments

  1. Despite this if all countries of the world doesn't take actions against China then it will be unfortunate for the world.

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